पल रुकता नही, है कभी
पल झुकता नही, है कभी
हम थम जाते हैं बस यही
हम पछतते हैं फिर वही
जो करना था किया नही
जो कहना था कहा नही
फिर क्यो रोते हैं
क्यो चैन से न सोते हैं
क्यों कहते रहते हैं बस यही
पल रुकता नही, है कभी
पल झुकता नही, है कभी
हम थम जाते हैं बस यही
हम पछतते हैं फिर वही
अपना और पराया
हमने बस यही है जाना
ना अपनो को पहचाना
ना दूजो को अपनाया
बस फिर यही है कहते जाना
पल रुकता नही, है कभी
पल झुकता नही, है कभी
हम थम जाते हैं बस यही
हम पछतते हैं फिर वही
ये जीवन है कुछ पल का
हम आज हैं कल ना होंगे
फिर क्यो है लड़ते रहना
और क्यो ना है मिल जाना
और फिर ना पड़ेगा थमना
ना पड़ेगा फिर पछताना की
पल रुकता नही, है कभी
पल झुकता नही, है कभी
हम थम जाते हैं बस यही
हम पछतते हैं फिर वही
Superb yar
ReplyDeleteThanks!!!
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